Monday, September 23, 2019

जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया

कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
की परेशान लोग उन्हें देख खुश हो जाते हैं,

उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अलफ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं.


फ़िज़ाओं का मौसम जाने पर, बहारों का मौसम आया,
गुलाब से गुलाब का रंग तेरे गालों पे आया,

तेरे नैनों ने काली घटा का काजल लगाया,
जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया.

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

Garmi-e-Hasrat-e-Nakaam Se Jal Jaate Hai,
Hum Chiragon Ki Tarah Shaam Se Jal Jaate Hai,

Shama Jis Aag Mein Jalti Hai Numaish Ke Liye,
Hum Ussi Aag Mein Gumnaam Se Jal Jaate Hai,

Jab Bhi Aata Hai Tera Naam Mere Naam Ke Saath,
Jaane Kyun Log Mere Naam Se Jal Jaate Hai.


गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं,
हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं,

शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए,
हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं,

जब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
जाने क्यूँ लोग मेरे नाम से जल जाते हैं।

तरसती नज़रो ने हर पल आपको ऐसे मागा

तरसती नज़रो ने हर पल आपको ऐसे मागा।
जैसे हर अमावस में चांद मागा।
रूठ गया वो खुदा भी हमसे ।
जब हमने अपनी हर दुआ में आपको मागा।

जो प्यार का रिश्ता हम बनाते है।
उसे लोगो से क्यों छुपाते है।
क्या गुनाह है किसी को प्यार करना।
तो बचपन से हमे प्यार करना क्यों सिखाते है।


यादों की हवा ज़ख्मों की दवा बन गई।
दूरी उनकी मेरी चाहत की सज़ा बन गई।
कैसे भूलूं में उन्हें एक पल के लिए ।
उनकी याद ही मेरी जीने की वजह बन गई।

वख्त बदलता है जिंदगी के साथ।
ज़िन्दगी बदलती है वख्त के साथ।
वख्त नही बदलता अपनो के साथ।
बस अपने ही बदल जाते है वख्त के साथ। 

मैं तो बस पल भर के लिए बहकने आया था

कलियों के लबों का तबस्सुम खरीदने आया था,
मैं तुम्हारे शहर में अपने कुछ दर्द बेचने आया था.

तुम ने भी सुधार दिया तो फ़िर जियूँगा कैसे मैं,
तुम्हारे पास तो आख़िर मैं बिगड़ने आया था.

वो तो मेरी लाश पर से भी गुज़रने को तैयार था,
मैं बेवजह ही उस क़ातिल को रोकने आया था.


वो जानता है के मैं नहीं सुनता किसी की भी,
फ़िर भी मुझ को वो मज़बूर करने आया था.

तुमने क़ैद कर लिया है मुझे उम्र भर के लिए,
मैं तो बस पल भर के लिए बहकने आया था.

मैंने सुना था के सुकूँ बहुत है उस की बज़्म में,
सो दावत उस के जल्वों की उड़ाने आया था.

सुना था बहुत के उस की आँखें बोला करती हैं,
सो "आकाश" मैं भी उन्हीं को देखने आया था.

अब तो दिल उस की मोहब्बत में भी नहीं लगता है

तुम्हारी क्या किसी की सोहबत में भी नहीं लगता है,
अब तो दिल उस की मोहब्बत में भी नहीं लगता है.

इस दिल को जब रोग ही ग़र इश्क़ के हों तो यारों,
दिल घर में क्या फ़िर ज़न्नत में भी नहीं लगता है.

तेरा ग़म रहे तो दिल को फ़िर भी कोई मसअला है,
ये भी ग़र ना हो तो दिल फ़ुर्सत में भी नहीं लगता है.


तुम मेरे लिए ग़र ख़्वाब हो तो फ़िर ख़्वाबों में मिलो,
तुम्हारा होना मुझको हक़ीक़त में भी नहीं लगता है.

यूँ तो मैं जाता तो हूँ कभू कभू मस्जिद "आकाश",
जी मगर उसके बगैर इबादत में भी नहीं लगता है.

होंठो पर देखो फिर आज मेरा नाम आया है

खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी,
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।

होंठो पर देखो फिर आज मेरा नाम आया है,
लेकर नाम मेरा देखो महबूब कितना शरमाया है,
पूछे उनसे मेरी आँखें कितना इश्क है मुझसे,
पलके झुकाके वो बोले कि मेरी हर साँस में बस तू ही समाया है।


ऐ बारिश जरा थम के बरस,
जब वो आ जाये तो जम के बरस,
पहले न बरस के वो आ न सके,
फिर इतना बरस के वो जा न सके।

तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।

Monday, January 7, 2019

तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो

तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो,
जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो.

तुम ने भी सुनी होगी बड़ी आम कहावत है, 
अंजाम का जो हो खतरा आग़ाज़ बदल डालो.


पुर-सोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाए,
सुर ही न मिले जिस में वो साज़ बदल डालो.

दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना,
तुम खेल वही खेलो अंदाज़ बदल डालो.

ऐ दोस्त करो हिम्मत कुछ दूर सवेरा है,
अगर चाहते हो मंज़िल तो परवाज़ बदल डालो.

इस शहर-ए-खराबी में गम-ए-इश्क के मारे

इस शहर-ए-खराबी में गम-ए-इश्क के मारे,
ज़िंदा हैं यही बात बड़ी बात है प्यारे.

ये हंसता हुआ लिखना ये पुरनूर सितारे,
ताबिंदा-ओ-पा_इन्दा हैं ज़र्रों के सहारे.


हसरत है कोई गुंचा हमें प्यार से देखे,
अरमां है कोई फूल हमें दिल से पुकारे.

हर सुबह मेरी सुबह पे रोती रही शबनम.
हर रात मेरी रात पे हँसते रहे तारे,

कुछ और भी हैं काम हमें ए गम-ए-जानां.
कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे,

तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे

तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे,
जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे.

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं,
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे.


बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे.

किन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ है,
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे.

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुमकिन है,
हम तो उस दिन रो देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे.

Wednesday, December 12, 2018

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली

दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं, 
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं,

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली, 
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आँसू बहते हैं,


एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं, 
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं,

जिस की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिस के लिये बदनाम हुए, 
आज वही हम से बेगाने-बेगाने से रहते हैं,

वो जो अभी रहगुज़र से, चाक-ए-गरेबाँ गुज़रा था, 
उस आवारा दीवाने को 'ज़लिब'-'ज़लिब' कहते हैं.

कहीँ आँसुओं से मिटा हुआ, कहीं, आँसुओं से लिखा हुआ

कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बंधा हुआ । 
वो ग़ज़ल का लहजा नया-नया, न कहा हुआ न सुना हुआ । 

जिसे ले गई अभी हवा, वे वरक़ था दिल की किताब का, 
कहीँ आँसुओं से मिटा हुआ, कहीं, आँसुओं से लिखा हुआ । 

कई मील रेत को काटकर, कोई मौज फूल खिला गई, 
कोई पेड़ प्यास से मर रहा है, नदी के पास खड़ा हुआ । 


मुझे हादिसों ने सजा-सजा के बहुत हसीन बना दिया, 
मिरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ हो मेंहदियों से रचा हुआ । 

वही शहर है वही रास्ते, वही घर है और वही लान भी, 
मगर इस दरीचे से पूछना, वो दरख़्त अनार का क्या हुआ । 

वही ख़त के जिसपे जगह-जगह, दो महकते होटों के चाँद थे, 
किसी भूले बिसरे से ताक़ पर तहे-गर्द होगा दबा हुआ ।

Tuesday, December 11, 2018

मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना

किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो,

मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना,
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो ।



बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,

कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।